देहरादून: एक तरफ सरकार मूल निवास 1950 और सख्त भू-कानून को लागू करने को लेकर दावे करती है। वहीं, दूसरी ओर मूल निवासी, भू-कानून को लेकर भूखहड़ताल करने जा रहे संघर्ष समिति के संयोजक और अन्य लोगों को शहीद स्थल जाने से रोक दिया। इतना ही नहीं राज्य बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि पुलिस ने शहीद स्मारक के गेट पर किसी आंदोलन को रोकने के लिए ताला लगा दिया हो।
सरकार और पुलिस के इस रवैए से लोगों में आक्रोश है। राज्य निर्माण आंदोलनकारियों ने इसे आंदोलनकारियों को अपनमान बताया है। इसको लेककर सोशल मीडिया में भी कड़ी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। सशक्त भू-कानून और मूल निवास की मांग को लेकर आमरण अनशन करने की तैयारी में मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी को पुलिस ने रोक दिया।
पुलिस ने शहीद स्मारक के गेट पर ताला भी लगा दिया है। मोहित ने निर्णय लिया है कि वह शहीद स्मारक के गेट के बाहर ही भूख हड़ताल शुरू करेंगे। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने आज मंगलवार से शहीद स्मारक पर आमरण अनशन शुरु करने का एलान किया था। समिति को महिला मंच और राज्य आंदोलनकारी मंच सहित कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। समिति का कहना है कि भूमि कानूनों में हुए संशोधनों को रद्द किया जाए।
इसके साथ ही निवेश के नाम पर दी गई जमीनों का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए। समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड सरकार मजबूत भू-कानून को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार बजट सत्र में भू-कानून लाने की बात कर रही है, लेकिन किस तरह का भू-कानून सरकार लाएगी, स्थिति स्पष्ट नहीं है।
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