देहरादून: दिल्ली में प्रदूषण चरम पर है। देश की राजनीति गैस चेंबर चुकी है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। दिल्ली सरकार ने देश के दूसरे राज्यों के साथ ही उत्तराखंड रोडवेज की पुरानी बीएस-4 डीजल बसों की एंट्री भी दिल्ली में बैन कर दी है। प्रतिबंध चार दिन पहले लग चुका था, लेकिन रोडवेज ने अब तक इस समस्या का समाधान नहीं खोज पाया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हस्तक्षेप के बार सरकार ने खुद मोर्चा संभाल लिया है। एक्शन-प्लान के अंतर्गत परिवहन निगम को वर्तमान में दिल्ली के लिए अनुमन्य सुपर डीलक्स बीएस-6 वोल्वो, बीएस-6 साधारण और अनुबंधित सीएनजी बसों को एक दिन में तीन फेरे संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
निगम के पास ऐसी 12 वोल्वो और 180 अनुबंधित सीएनजी साधारण और 77 बीएस-6 डीजल साधारण नई बसें हैं, जो दिल्ली जा रही हैं। इसके अलावा, 41 बसें बीएस-6 डीजल अनुबंधित भी हैं, जो स्थानीय मार्गों पर चल रही थी, उन्हें भी अब दिल्ली भेजा जा रहा है। राज्य सरकार ने निगम को 175 नई बसों की खरीद प्रक्रिया भी शीघ्र करने के निर्देश दिए हैं।
प्रतिबंध से पूर्व दिल्ली के लिए उत्तराखंड से 504 बसें नियमित दिल्ली जा रही थी, जिनमें 40 से 45 हजार यात्री प्रतिदिन सफर करता है। लेकिन, दिल्ली में प्रदूषण कारण स्थिति बिगड़ने के बाद 310 बसें ही दिल्ली जा पा रही हैं और 194 बसें खड़ी हो गई हैं। प्रतिबंध से पहले निगम की 53 वोल्वो बसों में से 45 दिल्ली मार्ग पर संचालित हो रही थी। अकेले देहरादून से ही 27 बसें दिल्ली जबकि दो बसें गुरुग्राम जा रही थी।
अब यह संख्या मात्र 12 रह गई है, जिसमें आठ देहरादून से चल रही हैं। इन बसों की ऑनलाइन टिकट बुकिंग फिर खोलने के साथ राज्य सरकार ने गत फरवरी में बोर्ड बैठक में स्वीकृत 100 सीएनजी व 75 डीजल बीएस-6 नई बड़ी बसों की खरीद त्वरित निविदा के अंतर्गत करने के निर्देश भी दिए।
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