चमोली ; थराली में आपातकालीन 108 एम्बुलेंस सेवा, जो सड़क दुर्घटना, गंभीर बीमारी या अचानक स्वास्थ्य खराब होने वाले मरीजों के लिए जीवन रक्षक साबित होती है, स्वयं उस समय संकट में पड़ गई जब थराली के मुख्य बाजार में यह एम्बुलेंस अचानक खराब हो गई। स्थानीय लोगों की मदद से इसे धक्का देकर सड़क किनारे ले जाया गया, और आधे घंटे बाद यह फिर से चालू हो गई। इस दौरान असमंजस की स्थिति बनी रही, लेकिन सौभाग्य से उस समय एम्बुलेंस में कोई मरीज नहीं था। यह एम्बुलेंस देवाल तिहारे के एक मरीज को बागेश्वर अस्पताल ले जाने के लिए निकली थी, लेकिन बाजार में ही रुक गई। यह घटना आज की ही बताई जा रही है।
इस घटना ने आपातकालीन सेवाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 108 एम्बुलेंस की जर्जर हालत और बार-बार खराब होने की समस्या मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसी परिस्थितियों में समय पर उपचार न मिलने से मरीजों को अपनी जान तक गंवानी पड़ सकती है। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई हो; इस क्षेत्र में एम्बुलेंस सेवाओं की खराब स्थिति और रखरखाव की कमी बार-बार लोगों को परेशान करती रही है।
सवाल यह है कि क्या प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस समस्या को गंभीरता से लेगा? क्या इन एम्बुलेंसों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के लिए कोई ठोस योजना है? अगर एक आपातकालीन वाहन स्वयं आपात स्थिति में फंस जाए, तो मरीजों की जान बचाने की जिम्मेदारी कौन लेगा? यह घटना न केवल लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को भी दर्शाती है। प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल कदम उठाए, एम्बुलेंसों की स्थिति सुधारे और यह सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, ताकि लोगों का भरोसा इस महत्वपूर्ण सेवा पर बना रहे।
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