उत्तरकाशी: शराब सिर चढ़ गई तो अच्छे-भले इंसान को रेंगने पर मजबूर कर देती है। घर बर्बाद हो जाते हैं। परिवार बिखत जाते हैं।सूरज अस्त, पहाड़ी मस्त…यह कहावत पहाड़ पर बदनामी का सबसे बड़ा दाग है। यह दाग भी शराब के कारण ही लगा है। लेकिन, अब बदलते दौर में लोगों की सोच भी कुछ-कुछ बदलने लगी है। देहरादून के जौनसार और उत्तरकाशी जिले की यमुनाघाटी और गंगाघाटी के गांवों में भी शराब बंदी होने लगी है। यह मुहिम आंदोलन का रूप ले रही है।
हालांकि, इसको लेकर बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सच यह है की उत्तराखंड को शराब से ही सबसे ज्यादा राजस्व मिलता है। इससे एक बात तो साफ़ है कि शराब बंदी के आन्दोलन को बड़ा करना होगा। इस मुहिम के लिए लोगों को खुद ही आगे आना होगा। दानव का रूप ले चुकी शराब को बंद करने के फैसले धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। यह उम्मीद जगाते हैं कि शराब लोग जागरूख हो रहे हैं।
उत्तरकाशी जिले के विकास खंड डुंडा के पांच गांवों ने शराब बंदी के लिए लिए बाकायदा महापंचायत बुलाई। महापंचायत में तय किया गया कि शादी-विवाह और अन्य सामूहिक कार्यक्रमों में शराब नहीं परोसी जाएगी।
महापंचायत में ग्राम सभा नैपड़, भैंत, न्यूसारी, हुल्डियान और पोखरियाल ग्राम सभा के जनप्रतिनिधियों ग्रामीणों ने शराब बंदी का ऐलान किया। साथ ही गाजणा क्षेत्र के ग्राम सभा उडरी, सिरी और कमद गांव के लोगों ने भी शराब पर प्रतिबंध का प्रस्ताव पास किया।
तय किया गया है कि जो भी परिवार शराब बंदी का पालन नहीं करेगा, उनके कार्यक्रमों में कोई भी ग्रामीण शामिल नहीं होगा। इतना ही नहीं होटल, ढाबों पर भी नजर रखी जाएगी। पकड़े जाने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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