उत्तराखंड: स्टेडियमों के नाम बदलने पर भड़की कांग्रेस, फैसला नहीं बदलने पर होगा विरोध-प्रदर्शन

देहरादून : उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने राज्य सरकार के चार प्रमुख स्टेडियमों के नाम बदलने और देहरादून की रिस्पना व बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोड बनाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। इन फैसलों को “पूर्वाग्रहपूर्ण” और “विनाशकारी” करार देते हुए, कांग्रेस ने राज्यव्यापी आंदोलन की घोषणा की है, जिसमें स्टेडियमों पर धरना-प्रदर्शन और राज्यपाल से मुलाकात शामिल है।

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में संगठन व प्रशासन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने चार प्रमुख खेल सुविधाओं के नाम बदलने के राज्य सरकार के फैसले की निंदा की। ये हैं:

  1. देहरादून के रायपुर स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज और राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, जिन्हें अब रजत जयंती खेल परिसर नाम दिया गया है।

  2. हल्द्वानी के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, जिसे मानसखंड खेल परिसर नाम दिया गया।

  3. रुद्रपुर के मनोज सरकार स्टेडियम, जिसका नाम बदलकर एक नया नाम दिया गया।

  4. हरिद्वार के वंदना कटारिया खेल स्टेडियम, जिसे योगस्थली खेल परिसर नाम दिया गया।

धस्माना ने बीजेपी सरकार पर पूर्वाग्रह का आरोप लगाते हुए कहा, “राज्य सरकार को कांग्रेस के महान नेताओं राजीव गांधी और इंदिरा गांधी के नाम से एलर्जी है। लेकिन इस पूर्वाग्रह में उन्होंने महान शासक महाराणा प्रताप और खेल प्रतिभाओं मनोज सरकार व वंदना कटारिया का भी अपमान किया है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस “अपमान” को बर्दाश्त नहीं करेगी और स्टेडियमों पर धरना-प्रदर्शन करेगी, साथ ही राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर नाम बदलने के फैसले को रद्द करने की मांग करेगी।

धस्माना ने बीजेपी सरकार पर खेल अवसंरचना में योगदान न देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “कांग्रेस सरकारों ने ही उत्तराखंड में खेलों को प्रोत्साहन दिया और पूरे राज्य में स्टेडियमों का निर्माण व विकास कराया। बीजेपी का एकमात्र योगदान नाम बदलना है।”

रिस्पना और बिंदाल पर एलिवेटेड रोड को बताया विनाशकारी

कांग्रेस ने देहरादून की रिस्पना और बिंदाल नदियों पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को देहरादून घाटी के लिए “विनाशकारी” करार दिया। धस्माना ने कहा कि देहरादून की भौगोलिक परिस्थितियों में रिस्पना और बिंदाल नदियां प्रकृति की अनमोल देन हैं, जो बरसात के पानी को समेटकर शहर को बाढ़ से बचाती हैं। उन्होंने बताया कि राज्य बनने से पहले देहरादून में ईस्ट कैनाल और वेस्ट कैनाल थीं, जो शहर के भीतरी हिस्सों का पानी समेटती थीं। लेकिन सड़क चौड़ीकरण के लिए इन नहरों को भूमिगत कर दिया गया, जिसके कारण अब बरसात में जलभराव की समस्या बढ़ गई है।

धस्माना ने कहा, “एलिवेटेड रोड के लिए नदियों में कंक्रीट के पिलर डाले जाएंगे, जिससे पानी का प्राकृतिक बहाव बाधित होगा। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ेगा और भूजल स्तर, जो पहले ही काफी नीचे जा चुका है, और प्रभावित होगा।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि 25-30 किलोमीटर लंबी इस परियोजना से शहर का तापमान, जो पहले ही 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर चुका है, और बढ़ेगा। साथ ही, इस परियोजना के लिए 2,500 से 3,000 मकानों और इमारतों को तोड़ा जाएगा, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई पुनर्वास योजना तैयार नहीं की है।

धस्माना ने स्मार्ट सिटी परियोजना की भी आलोचना की, जिसमें हजारों करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद देहरादून को कोई खास लाभ नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “लोगों को स्मार्ट सिटी के नाम पर सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत जनता के सामने है।”

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