उत्तराखंड हाई कोर्ट से बड़ी खबर, दो जगह नाम वाले प्रत्याशियों और वोटरों की कम नहीं हुई मुश्किल, जारी रहेगा चुनाव

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में दोहरी मतदाता सूची (शहरी और ग्रामीण) वाले मतदाताओं के मतदान और चुनाव लड़ने से संबंधित विवाद में स्पष्ट आदेश देने से इनकार कर दिया है. चुनाव आयोग द्वारा दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने मौखिक रूप से यह स्पष्ट किया कि उसने चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि केवल चुनाव आयोग द्वारा 6 जुलाई को जारी सर्कुलर पर रोक लगाई है.

मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि 11 जुलाई को जारी आदेश उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार है और आयोग स्वयं पंचायत राज अधिनियम के पालन के लिए जिम्मेदार है.

चुनाव आयोग ने मांगा था ‘मॉडिफिकेशन’

उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने रविवार को हाईकोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर 11 जुलाई के आदेश से चुनाव प्रक्रिया बाधित होने की बात कही थी और आदेश को ‘मॉडिफाई’ करने की मांग की थी. आयोग ने तर्क दिया था कि चुनाव प्रक्रिया में अब तक काफी संसाधन व्यय हो चुके हैं. इस प्रार्थना पत्र के आधार पर, आयोग ने सोमवार, 14 जुलाई को अपराह्न 2 बजे तक चुनाव चिन्हों के आवंटन पर रोक लगा दी थी.

सर्कुलर पर रोक का कारण

दरअसल, 11 जुलाई को हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा जिला निर्वाचन अधिकारियों को 6 जुलाई को जारी किए गए सर्कुलर पर रोक लगाई थी. इस सर्कुलर में आयोग ने कहा था कि जिन लोगों के नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हैं, उन्हें मतदान करने या चुनाव लड़ने से न रोका जाए, भले ही उनके नाम अन्य मतदाता सूचियों (जैसे कि शहरी क्षेत्र) में भी हों.

हाईकोर्ट ने पाया कि यह सर्कुलर उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 के उपनियम 6 व 7 का उल्लंघन करता है. अधिनियम के अनुसार, जिन मतदाताओं के नाम एक से अधिक मतदाता सूची (शहरी व ग्रामीण क्षेत्र) में हैं, वे मतदान करने या चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं. इसी आधार पर हाईकोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी.

भ्रम की स्थिति बरकरार

हाईकोर्ट के इस फैसले से राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है. कई पंचायतों में शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में नाम वाले लोग चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि, वे पंचायत राज अधिनियम की धारा 9(6) और हाईकोर्ट के 11 जुलाई के आदेश के अनुसार चुनाव लड़ने के योग्य नहीं हैं, जिससे चुनाव कराने या न कराने को लेकर भ्रम बना हुआ है. आयोग को सोमवार से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह आवंटित करने थे, जिस पर आयोग ने अस्थाई रोक लगा दी थी.

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