एक कॉन्स्टेबल की काली कमाई, बड़ा सवाल…कौन है आका?

आधा क्विंटल सोना, करोड़ों रुपए कैश… एक अदना सा कॉन्स्टेबल अपनी सैलरी से तो इतनी कमाई तो नहीं ही कर सकता है। यह मध्य प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार का नमूना है। 45-50 हजार की नौकरी करने वाला एक कॉन्स्टेबल महज कुछ सालों में ही अरबपति बन जाता है।

हालांकि ये सब कुछ वह अपने बूते नहीं करता है, उसके बाद पावर कॉरिडोर के बड़े लोगों का भी हाथ है। तभी तो उनकी कॉलोनियों में वह आलीशान कोठी में रहता था, जिसके इंटीरियर पर कथित तौर पर दो करोड़ से अधिक रुपए खर्च हुए हैं। कॉन्स्टेबल तो भ्रष्टाचार के इस कुएं की छोटी मछली है जो कथित पंगे की वजह से फंस गया। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त हर दिन करीब आधा दर्जन भ्रष्ट लोगों को पकड़ रही है।

एक चर्चा है कि कॉन्स्टेबल के ऊपर कुछ बड़े लोगों का भी हाथ था। उनकी काली कमाई को भी पूर्व कॉन्स्टेबल रियल एस्टेट में निवेश करता था। हालांकि न तो लोकायुक्त ने अपनी कार्रवाई के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है। जंगल में लवारिश पड़ी कार से मिले सोने और कैश की पुष्टि भोपाल पुलिस ने कर दी है। बरामद लवारिश कार पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा के दोस्त चेतन सिंह गौर की है। गाड़ी पर हूटर लगी थी। साथ ही आरटीओ को बोर्ड लगा था।

पूर्व कॉन्स्टेबल को करीब से जानने वाले लोग नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि वह परिवहन विभाग में अपने आकाओं के आशीर्वाद से चेक पोस्ट पर दलाली करता था। अवैध दौलत उसने नाकों पर वसूली कर बनाई है। उसके रहन सहन से लेकर बाकी चीजों में बदलाव आने लगा तो शक बढ़ने लगा। इसके बाद उसने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

मध्य प्रदेश में सिर्फ कॉन्स्टेबल ही आईटी के रडार पर नहीं है। चार दिनों से एक और कॉक्स पर छापेमारी चल रही है। उसमें बिल्डर, नेता और अफसरों का गठजोड़ है। उस छापेमारी में भी छह करोड़ से अधिक कैश मिले हैं। कथित तौर पर उस छापेमारी के पूर्व मुख्य सचिव के तार भी जुड़ रहे हैं। उस कॉक्स ने भोपाल में बनने वाले एक बाइपास की जमीन खरीदने में खेल किया है। वह कार्रवाई पूर्व मंत्री दीपक जोशी की शिकायत के बाद चल रही है।

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