ऐतिहासिक गौचर मेला 14 नवंबर से शुरू होगा

चमोली :आगामी 73वें राजकीय औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक गौचर मेले की तैयारियों को लेकर मंगलवार को मेला अध्यक्ष/ जिलाधिकारी संदीप तिवारी की अध्यक्षता में राजकीय इंटर कॉलेज गौचर के सभागार कक्ष में प्रथम बैठक आयोजित की गई। बैठक में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, व्यापार संघ के पदाधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मेले को भव्य और सफल बनाने के लिए अपने-अपने सुझाव प्रस्तुत किए मेला 14 नवंबर से शुरू होगा।

बैठक के दौरान मेलाधिकारी / उपजिलाधिकारी कर्णप्रयाग सोहन सिंह रांगण ने पिछले वर्ष आयोजित 72वें गौचर मेले की प्राप्त एवं व्यय की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मेले के खाते में ब्याज सहित कुल 57,206 रुपये की राशि अवशेष है, जिसके आधार पर इस वर्ष के मेले को भव्य और दिव्य स्वरूप देने हेतु योजनाबद्ध तैयारी की जा रही है।

सामाजिक कार्यकर्ता भुवन नौटियाल ने कहा कि मेले को भव्य स्वरूप देने हेतु कम से कम 50 लाख रुपये की धनराशि शासन से मांगी जानी चाहिए, ताकि स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हों। उन्होंने नंदा देवी राजजात यात्रा को मेले से जोड़कर प्रचार-प्रसार करने का भी सुझाव दिया। व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल ने जनभावनाओं के अनुरूप मेले के आयोजन की आवश्यकता बताते हुए दुकानों के किराये में कमी लाने का आग्रह किया।

हरिकेश भट्ट ने कहा कि मेले के माध्यम से युवाओं को आपदा प्रबंधन एवं बचाव का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, जिसके लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के कैम्प लगाए जाएँ। सुरेन्द्र कनवासी ने आपदा प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए आर्थिक सहयोग की अपील की तथा दुकानों के आवंटन में पारदर्शिता बनाए रखने की बात कही।

स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया कि मेले में आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए कैरियर काउंसलिंग स्टॉल लगाए जाएँ, जिससे उन्हें भविष्य के रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसरों की जानकारी मिल सके। चैतन्य बिष्ट ने कहा कि स्किल इंडिया योजना के तहत युवाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण देने हेतु विशेष स्टॉल स्थापित किए जाएँ।नवनिर्वाचित सभासदों ने गौचर मेले को एक आदर्श मेला के रूप में विकसित करने के लिए मेले परिसर में प्लास्टिक प्रतिबंध लागू करने की मांग की।

इसके साथ ही पेयजल, पार्किंग, सुरक्षा एवं स्वच्छता व्यवस्था को लेकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने पर बल दिया गया। नगर पालिका अध्यक्ष गणेश शाह ने कहा कि गौचर मेला हमारी सांस्कृतिक विरासत और गौरव का प्रतीक है। इसे भव्यता और परंपरा के साथ मनाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

इस अवसर पर मेला अध्यक्ष /जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं देते हुए उपस्थित सभी जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बैठक में प्राप्त सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि कैरियर काउंसलिंग स्टॉल की व्यवस्था छात्रों के लिए उपयोगी होगी तथा स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक मुक्त मेला बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और इसके लिए प्रशासन व जनता दोनों को मिलकर प्रयास करना होगा।

उन्होंने आश्वासन दिया कि दुकानों के किराये और आवंटन प्रक्रिया से संबंधित विषयों पर उचित विचार विमर्श कर पारदर्शी निर्णय लिया जाएगा, ताकि हर वर्ग की सहभागिता सुनिश्चित हो सके। इस दौरान अपर जिला अधिकारी विवेक प्रकाश, जिला विकास अधिकारी केके पंत स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि, व्यापारी वर्ग एवं जनपद स्तरीय अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

गौचर मेला परिचय
उत्तराखण्ड राज्य के चमोली जनपद अंतर्गत गौचर (तहसील कर्णप्रयाग) में आयोजित गौचर मेला प्रदेश के सबसे लोकप्रिय मेलों में से एक है। समुद्र तल से लगभग 800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित गौचर अपने विशाल समतल मैदान और ऐतिहासिक व्यापारिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। वर्ष 1943 में तत्कालीन गढ़वाल के डिप्टी कमिश्नर के सुझाव पर यह मेला प्रारंभ हुआ था। प्रारंभ में यह एक व्यापारिक मेला था, जो समय के साथ औद्योगिक विकास एवं सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में विकसित हुआ।यह मेला प्रत्येक वर्ष 14 नवम्बर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू जी के जन्मदिन के अवसर पर प्रारंभ होता है। यह मेला न केवल व्यापारिक दृष्टि से, बल्कि लोक संस्कृति, लोककला, और सामाजिक सद्भावना का प्रतीक बन चुका है, जो उत्तराखण्ड की समृद्ध परंपरा और लोक जीवन का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

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