औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए आज से का अभियान, मराठा वीरों की प्रतिमा की मांग तेज

नई दिल्ली/महाराष्ट्र: देशभर में ऐतिहासिक स्थलों और नामों को लेकर नई बहस छिड़ गई है। जहां एक ओर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल ने मुगल बादशाह औरंगजेब के निशान हटाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है, वहीं दूसरी ओर मराठा वीरों – पेशवा बाजीराव प्रथम, महादजी शिंदे और मल्हारराव होलकर – की प्रतिमाएं दिल्ली में स्थापित करने की मांग तेज हो गई है।

विहिप का औरंगजेब के विरुद्ध अभियान

विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार छत्रपति शिवाजी की जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र में जिलास्तर पर धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इस दौरान विहिप और बजरंग दल के पदाधिकारी औरंगाबाद के खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाने और महाराष्ट्र में लगी उसकी प्रतिमाओं को हटाने की मांग करते हुए जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपेंगे।

दिल्ली में भी इस अभियान के तहत विहिप के महामंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि राजधानी में औरंगजेब रोड का नाम बदलने की मांग को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री, दिल्ली की मुख्यमंत्री और एनडीएमसी चेयरमैन को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

दिल्ली में मराठा योद्धाओं की प्रतिमा स्थापना की मांग

इसी के साथ मराठा वीरों की विरासत को सम्मान देने की मांग भी तेज हो गई है। इतिहासकारों और मराठा समाज के नेताओं का कहना है कि पेशवा बाजीराव प्रथम, महादजी शिंदे और मल्हारराव होलकर ने भारतीय उपमहाद्वीप में मराठा साम्राज्य के विस्तार में अहम भूमिका निभाई थी। उनके योगदान को उचित सम्मान देने के लिए उनकी प्रतिमाएं दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम के समीप स्थापित की जानी चाहिए।

तालकटोरा क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व भी इस मांग को प्रासंगिक बनाता है, क्योंकि यह स्थान कभी मराठा सेना का महत्वपूर्ण शिविर स्थल हुआ करता था। मराठा समाज और इतिहास प्रेमियों का कहना है कि इन महापुरुषों की मूर्तियों की स्थापना से दिल्ली में उनकी विरासत को उचित सम्मान मिलेगा। इस विषय पर प्रशासन से जल्द ही औपचारिक चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है।

सियासी सरगर्मी बढ़ी

इन दोनों अभियानों से राजनीतिक हलकों में भी सरगर्मी बढ़ गई है। एक ओर जहां हिंदू संगठनों द्वारा औरंगजेब से जुड़े निशानों को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन की तैयारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर मराठा समाज अपने नायकों के इतिहास को जीवंत करने की मुहिम में जुटा हुआ है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या रुख अपनाती है।

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