केदारनाथ रूट पर फिर बड़ा हेलिकॉप्टर हादसा: गौरीकुंड में क्रैश, पांच की दर्दनाक मौत

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गौरीकुंड क्षेत्र में रविवार सुबह एक और हृदयविदारक हेलिकॉप्टर हादसा हुआ है। केदारनाथ रूट पर एक निजी हेली कंपनी का हेलिकॉप्टर सुबह 5:30 बजे क्रैश हो गया। हादसे में पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई है।

प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हेलिकॉप्टर आर्यन एविएशन कंपनी का था और गौरीकुंड के ऊपर जंगलों के पास गौरी माई खर्क क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। बताया जा रहा है कि खराब मौसम इस दुर्घटना की वजह हो सकती है।

हादसे की जानकारी मिलने के तुरंत बाद एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें मौके के लिए रवाना की गईं। स्थानीय महिलाओं ने जो उस वक्त जंगल में घास काट रही थीं, उन्होंने सबसे पहले हेलिकॉप्टर गिरने की सूचना दी।

हेलिकॉप्टर नोडल अधिकारी राहुल चौबे और जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने हादसे की पुष्टि की है। मृतकों में एक बालिका भी शामिल बताई जा रही है। शवों के बुरी तरह जल जाने की खबर है, जिससे पहचान मुश्किल हो रही है।

हाल में हुए हेलीकॉप्टर हादसे

7 जून: केदारनाथ हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग

क्रिस्टल कंपनी का हेलिकॉप्टर बडासू हेलिपैड से टेकऑफ करते ही तकनीकी खराबी का शिकार हुआ।पायलट ने सूझबूझ से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई। पायलट घायल हुआ, हेलिकॉप्टर की टेल और पंखे क्षतिग्रस्त हुए। कार और दुकान को भी नुकसान पहुंचा।

8 मई: उत्तरकाशी में बड़ा हादसा

एयरोट्रांस कंपनी का हेलिकॉप्टर सहस्त्रधारा से हर्षिल के लिए रवाना हुआ था। गंगनानी क्षेत्र में क्रैश हुआ, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई, 1 घायल। मृतक यात्रियों में चार मुंबई से और दो आंध्रप्रदेश के थे।

उठ रहे ये सवाल

  • क्या हवाई सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है?
  • पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रहे हेलिकॉप्टर हादसे क्या लापरवाही का नतीजा हैं?
  • क्या इन कंपनियों की तकनीकी जांच और मौसम आधारित उड़ानों पर नियंत्रण का कोई स्पष्ट सिस्टम है?

क्या ज़रूरी है?

  • हेलिकॉप्टर ऑपरेशनों की सख्त निगरानी।
  • मौसम खराब होने की स्थिति में उड़ानों पर तत्काल निषेध।
  • DGCA और राज्य सरकार द्वारा स्वतंत्र जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई।

पवित्र केदारनाथ और गंगोत्री जैसे तीर्थ स्थलों की यात्रा के लिए हेली सेवाओं का चलन तेजी से बढ़ा है। लेकिन लगातार हो रहे हादसों ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

अब वक्त है जब पर्यटन और श्रद्धा के साथ सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए, वरना आसमान से उतरती यह “हवाई सेवा” संभावना की नहीं, अनहोनी की सूचना बन जाएगी।

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