चुनाव से बचना चाहती थी सरकार, नौकरशाही हावी : धस्माना

देहरादून : प्रदेश में पंचायत चुनावों को लेकर मचे घमासान पर कांग्रेस ने तीखा हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भाजपा सरकार कभी पंचायत चुनाव करवाना ही नहीं चाहती थी। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में चुनाव प्रक्रिया स्थगित करने के बाद उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब एक पूर्वनियोजित साजिश का हिस्सा है।

“कांग्रेस के सीनियर लीडर सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि सरकार तो शुरू से ही चुनाव से भाग रही थी। हाईकोर्ट की लताड़ के बाद आनन-फानन में प्रक्रिया शुरू की और फिर जानबूझ कर आरक्षण का रोस्टर शून्य कर दिया।

धस्माना ने सीधे तौर पर प्रदेश सरकार की नीयत और नौकरशाही के बढ़ते वर्चस्व पर सवाल उठाते हुए कह कि प्रदेश में अब मंत्रियों का कोई वजूद ही नहीं रहा। सारा तंत्र नौकरशाह चला रहे हैं। पंचायती राज मंत्री कौन है, यह भी किसी को नहीं पता। अधिनियम की नियमावली का तो और भी बुरा हाल है।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब अदालत ने सरकार से पंचायती राज नियमावली मांगी तो सरकार का जवाब हास्यास्पद था कि नियमावली नोटिफाई हो गई थी, लेकिन प्रेस वालों ने छापी नहीं। न्यायालय ने इस गैरजिम्मेदाराना जवाब से असंतुष्ट होकर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

प्रशासक भी जैसे-जैसे मन आया बदले गए”

धस्माना ने सरकार की कार्यशैली को अजूबा तंत्र बताते हुए कहा कि पहले तो जिला पंचायत अध्यक्षों, ब्लॉक प्रमुखों और ग्राम प्रधानों को प्रशासक बनाया गया, फिर उनके कार्यकाल समाप्त होने पर पंचायतों को लावारिस छोड़ दिया गया, और बाद में अधिकारियों को प्रशासक बना दिया गया।

अब जब कोर्ट की डांट पड़ी तो आनन-फानन में चुनावों का एलान किया गया वो भी बिना आरक्षण रोस्टर के। उन्होंने कहा कि सरकार की मानसिक स्थिति ऐसी हो गई है कि अब जब नामांकन में केवल 14 घंटे बचे थे, तब जाकर लोगों को पता चला कि चुनाव रद्द कर दिए गए हैं।

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