नई दिल्ली : देश के सबसे बड़े आतंकी हमलों में शामिल और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा तहव्वुर राणा आज भारत लाया जा सकता है। दिल्ली और मुंबई की जेलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद किया जा रहा है। जैसे ही राणा भारत पहुंचेगा, उसे सीधा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की हिरासत में सौंप दिया जाएगा, जो उससे कई हफ्तों तक पूछताछ करेगी।
पाकिस्तानी मूल का तहव्वुर राणा कनाडा का नागरिक है। उस पर आरोप है कि उसने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर 26/11 मुंबई आतंकी हमलों की साजिश रची थी। उसने अमेरिकी आतंकी डेविड कोलमैन हेडली की भारत यात्रा में भी मदद की थी, जो हमले की योजना में एक अहम कड़ी था।
राणा की मानसिकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने मुंबई हमले में मारे गए आतंकियों को मरणोपरांत पाकिस्तान से सर्वोच्च सैन्य सम्मान देने की मांग की थी। प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने अमेरिका की कई अदालतों में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से अंतिम झटका मिलने के बाद अब उसे भारत भेजने का रास्ता साफ हो गया।
तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की फरवरी यात्रा के दौरान राणा को भारत सौंपने का ऐलान किया था। 2019 से ही भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी थी। अब इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और गृह मंत्रालय कर रहे हैं।
अमेरिकी अदालत में पेश दस्तावेजों के मुताबिक, राणा और हेडली के आईएसआई के मेजर इकबाल से घनिष्ठ संबंध थे। जांच में यह सामने आया है कि राणा 11 से 21 नवंबर 2008 तक मुंबई के पवई स्थित होटल ‘रेनेसां’ में रुका था। उसके भारत से रवाना होने के ठीक 5 दिन बाद यानी 26 नवंबर 2008 को देश ने अब तक का सबसे भयानक आतंकी हमला देखा। राणा फिलहाल अमेरिका के लॉस एंजिलिस स्थित मेट्रोपोलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। 2011 में उसे दोषी ठहराया गया था और 13 साल की सजा सुनाई गई थी।
26/11 – जब मुंबई थम गई थी
26 नवंबर 2008 की रात लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसकर तबाही मचा दी थी। 4 दिन तक चले इस हमले में 166 लोग मारे गए, जिनमें 18 सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे। सैकड़ों लोग घायल हुए। हमले में शामिल एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया था, जिसे बाद में फांसी दी गई।