टिहरी : यह उत्तराखंड के लिए गर्व का विषय है कि टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (THDCIL) में उप महाप्रबंधक आशीष ममगाईं का चयन देश के ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख इंजीनियरों की सूची में किया गया है। उन्हें पावर लाइन पत्रिका में विशेष स्थान दिया गया है। आशीष ममगाईं के नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं।
ममगाईं वर्तमान में भारत की पहली वैरिएबल-स्पीड पंपड स्टोरेज सुविधा—टिहरी पंपड स्टोरेज परियोजना (PSP)—के निष्पादन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह परियोजना न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के ऊर्जा भविष्य को नई दिशा देने वाली साबित हो रही है।
एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के रूप में उन्होंने 2007 में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड में कार्यकारी प्रशिक्षु के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। पिछले 18 वर्षों में वे जलविद्युत संयंत्रों के संचालन-रखरखाव, कॉर्पोरेट-स्तरीय परियोजना सेवाओं और स्वदेशीकरण की दिशा में कई उपलब्धियां दर्ज कर चुके हैं। 2010 की विनाशकारी बाढ़ के बाद कोटेश्वर की इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणालियों की बहाली में उनकी विशेष भूमिका रही।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि ममगाईं 1,000 मेगावाट क्षमता वाली टिहरी पीएसपी की पहली दो इकाइयों के सफल चालू होने में सक्रिय रूप से शामिल रहे, जिन्होंने 2025 के मध्य में व्यावसायिक संचालन हासिल किया। यह परियोजना भारत में पहली बार अतुल्यकालिक जनरेटर और थ्री-फेज एसी एक्साइटेशन सिस्टम जैसी उन्नत तकनीक से लैस है।
उत्तराखंड की परंपरागत घराट (पनचक्की) प्रणाली से प्रेरणा लेकर पनबिजली समाधानों की ओर बढ़े ममगाईं आज देश को आत्मनिर्भर ऊर्जा की दिशा में ले जाने वाले चेहरों में गिने जाते हैं।
वे मानते हैं कि टिहरी पीएसपी की उपलब्धियां निजी क्षेत्र को भी पंपड स्टोरेज परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रेरित करेंगी। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि भविष्य में विदेशी तकनीक पर निर्भरता घटाना, घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना और पर्यावरणीय मंजूरियों की प्रक्रिया को सरल बनाना ज़रूरी होगा।
ममगाईं का कहना है कि यदि गहरे तकनीकी हस्तांतरण और सही बाज़ार तंत्र विकसित किए जाएं तो पंपड स्टोरेज परियोजनाएं देश के ऊर्जा सुरक्षा के लिए “गेमचेंजर” साबित होंगी।
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