देश में बेरोजगारी दर बढ़ी, युवा और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

नई दिल्ली : देशभर में मौसम के अप्रत्याशित बदलाव और आर्थिक सुस्ती के बीच बेरोजगारी का संकट फिर गहराता दिख रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में मासिक आधार पर बेरोजगारी दर अप्रैल 2025 में 5.1% से बढ़कर मई में 5.6% तक पहुंच गई है।

महिला और युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
राष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर मई में 5.6% रही, वहीं महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 5.8% तक जा पहुंचा। सबसे चिंताजनक स्थिति 15-29 वर्ष की आयु के युवाओं में देखने को मिली, जहां अप्रैल की तुलना में बेरोजगारी दर 13.8% से बढ़कर मई में 15% हो गई। ग्रामीण भारत में युवतियों की हालत और गंभीर है। PLFS (आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण) के ताज़ा निष्कर्ष बताते हैं कि 15-29 आयु वर्ग की ग्रामीण व शहरी महिलाओं की बेरोजगारी दर अप्रैल के 14.4% से बढ़कर मई में 16.3% हो गई।

शहरों में 24.7% तक पहुंची युवाओं की बेरोजगारी
शहरी क्षेत्रों में युवाओं की बेरोजगारी दर अप्रैल में 23.7% थी, जो मई में बढ़कर 24.7% हो गई। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर अप्रैल के 10.7% से बढ़कर मई में 13% तक पहुंच गई। 15-29 वर्ष के पुरुषों में भी बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई — अप्रैल में 13.6% से बढ़कर मई में 14.5% हो गई।

ग्रामीण से शहरी क्षेत्र की ओर झुका रोजगार का रुख
अध्ययन के मुताबिक, ग्रामीण भारत में अब रोजगार का झुकाव कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्रों से हटकर सेवा व द्वितीयक क्षेत्रों (जैसे निर्माण, व्यापार, परिवहन) की ओर बढ़ रहा है।

श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट
एक और चिंता की बात यह है कि 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों में श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) भी घट रही है। अप्रैल में यह 55.6% थी, जो मई में गिरकर 54.8% हो गई। ग्रामीण क्षेत्रों में LFPR मई में 56.9% दर्ज की गई (अप्रैल में 57.7%), जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 50.7% से घटकर 50.4% पर आ गई।

कुल मिलाकर तस्वीर चिंताजनक
सरकार की ओर से पहली बार मासिक PLFS जारी किए जाने से बेरोजगारी की ज़मीनी सच्चाई अब अधिक स्पष्ट हो रही है। आंकड़े बता रहे हैं कि मौसमी और ढांचागत बदलावों के चलते देश के युवाओं, खासकर महिलाओं के सामने रोजगार की चुनौतियां और भी विकराल रूप ले रही हैं।

ज़रूरत है नीतिगत हस्तक्षेप की
विशेषज्ञों का मानना है कि इस संकट से निपटने के लिए युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुसार कौशल देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना और महिला श्रमिकों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल सुनिश्चित करना ज़रूरी है।

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