धराली आपदा: खीरगंगा उद्गम स्थल का एसडीआरएफ ने किया भौतिक निरीक्षण, वैज्ञानिक संस्थानों को सौंपी रिपोर्ट

धराली। लगभग 15 हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित खीरगंगा के उद्गम स्थल का एसडीआरएफ टीम ने गहन भौतिक निरीक्षण किया और इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान व यू-कॉस्ट के वैज्ञानिकों को सौंप दी है।

रिपोर्ट में खीरगंगा क्षेत्र में जमा पानी, मिट्टी और पत्थरों के तेज बहाव को आपदा का मुख्य कारक बताया गया है। टीम ने क्षेत्र की वीडियोग्राफी और ड्रोन सर्विलांस के जरिये नये तथ्य जुटाने की कोशिश की। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि ग्लेशियर बेस पर तीन अलग-अलग जलधाराओं के तीव्र वेग ने धराली क्षेत्र में व्यापक तबाही मचाई।

ज्ञात हो कि बीते 5 अगस्त को खीरगंगा क्षेत्र में आई भीषण जलप्रलय से धराली बाजार और आसपास के इलाकों में भारी तबाही हुई थी। घटना के बाद एसडीआरएफ की विशेष टीमें तत्काल राहत व बचाव कार्यों में जुट गईं।

जांच का क्रम

7 अगस्त: मुख्य आरक्षी राजेन्द्र नाथ के नेतृत्व में टीम 3450 मीटर की ऊँचाई तक पहुँची। ड्रोन से खीरगंगा के दाहिने हिस्से की निगरानी की गई, लेकिन कहीं भी झील बनने जैसी स्थिति नहीं मिली।

8 अगस्त: एएसआई पंकज घिल्लियाल के नेतृत्व में टीम 3900 मीटर की ऊँचाई तक पहुँची और विस्तृत ड्रोन वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी की गई। यह सामग्री वैज्ञानिक संस्थानों को भेजी गई।

14-15 अगस्त: एसडीआरएफ व नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की संयुक्त टीम 4812 मीटर की ऊँचाई तक पहुँची। घना कोहरा, तेज हवाओं और बारिश जैसी विकट परिस्थितियों के बावजूद टीम ने ग्लेशियर बेस की विस्तृत रिकॉर्डिंग की।

राहत-बचाव की स्थिति

आपदा के बाद हर्षिल क्षेत्र में सेना के नौ जवान समेत 68 लोग अब भी लापता हैं। अब तक छह मौतों की पुष्टि हो चुकी है। धराली व आसपास के क्षेत्रों में दो हफ्ते बाद भी सड़कें बहाल नहीं हो पाई हैं। मलबे की मोटी परत (करीब 30 फीट) में दबे लोगों की तलाश जारी है।

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