देहरादून। प्रदेश के पूर्व वन मंत्री और कांग्रेस नेता डॉ. हरक सिंह रावत ने दावा किया है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो सफारी प्रकरण में सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। उनका कहना है कि सीबीआई और ईडी की ओर से दाखिल आरोप पत्र में उनका नाम शामिल नहीं है।
पाखरो सफारी मामले में लंबे समय तक जांच चलने के बाद सीबीआई ने रावत से पूछताछ भी की थी। फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है। रावत ने कहा कि पेड़ काटने या टेंडर जारी करने का जिम्मा मंत्री का नहीं होता, बल्कि प्रशासनिक और वित्तीय मंजूरी के बाद ही फाइल मंत्री तक आती है। “मंत्री की सीधी भूमिका सिर्फ नीतिगत फैसलों तक सीमित रहती है। यदि गड़बड़ी हो, तो जांच कराने का अधिकार मंत्री के पास होता है,” उन्होंने कहा।
रावत ने पाखरो टाइगर सफारी को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए कहा कि इस प्रोजेक्ट के जरिए पर्यटन को बढ़ावा मिलता, कोटद्वार से लेकर दिल्ली और जौलीग्रांट तक होटल उद्योग फलता-फूलता और हजारों लोगों को रोजगार मिलता। उनका दावा है कि इस तरह की सफारी से घायल और वृद्ध बाघों की उम्र भी पांच से सात साल तक बढ़ाई जा सकती थी, क्योंकि उन्हें सुरक्षित बाड़ों में भोजन मिल जाता और वे गांवों में हमला करने से भी बचते।
पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया कि वन विभाग के कुछ अधिकारियों और रामनगर होटल लॉबी ने मिलकर उनके खिलाफ साजिश रची। उन्होंने कहा कि यदि हजारों पेड़ काटे जाते, तो इसकी जानकारी जांच एजेंसियों को जरूर मिलती और लकड़ी की आवाजाही पर भी पकड़ बनती। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली के कुछ एनजीओ को भी इसमें शामिल किया गया।
क्या है मामला
केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद पाखरो रेंज की 106 हेक्टेयर वन भूमि पर टाइगर सफारी प्रोजेक्ट शुरू किया गया था। सरकारी स्तर पर दावा किया गया था कि इस प्रोजेक्ट के लिए मात्र 163 पेड़ काटे जाएंगे। लेकिन आरोप है कि इसके स्थान पर 6,903 पेड़ काट दिए गए, जिस पर पूरे प्रकरण ने विवाद का रूप लिया।
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