महायुति में तनाव, डिप्टी CM शिंदे क्यों नाराज?

महाराष्ट्र : महायुति गठबंधन ने साथ में चुनाव लड़कर बंपर बहुमत हासिल किया है। हालांकि, कई अंदरूनी मुद्दों पर भाजपा, शिवसेना और राकांपा का यह गठबंधन अंदरूनी कलह से जूझता दिखा है। फिर चाहे वह महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री पद को लेकर उभरा तनाव हो या मंत्री पद के बंटवारे पर सामने आए मतभेद।

तीनों ही दलों को इन मुद्दों पर आमने-सामने देखा गया। हालांकि, इन पार्टियों के नेतृत्व ने बाद में आपसी सामंजस्य से विवादों को दूर कर लिया। हालांकि, अब एक बार फिर महायुति में जिलों के प्रभारी मत्रियों की नियुक्ति को लेकर मतभेद बताया जा रहा है।

महाराष्ट्र में एक साधारण मंत्री परिषद के अलावा जिलों के प्रभारी मंत्रियों (जिन्हें प्रभारी मंत्री भी कहते हैं) की भी नियुक्ति की जाती है। यह प्रभारी मंत्री अलग-अलग जिलों के कामकाज की निगरानी के लिए नियुक्त किए जाते हैं और इनकी अपने जिलों के प्रति अलग से जिम्मेदारी तय होती है।

यानी अगर किसी नेता को किसी जिले का प्रभारी मंत्री बनाया जाता है, तो उसकी यह जिम्मेदारी मंत्री परिषद में उसको दी गई जिम्मेदारी से अलग और अतिरिक्त होती है। महाराष्ट्र में जिलों के प्रभारी मंत्रियों का पद कैबिनेट स्तर के बराबर का पद होता है और इनकी नियुक्ति भी सत्तासीन सरकार ही करती है।

महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नक्सल प्रभावित गढ़चिरौली के लिए खुद को प्रभारी मंत्री घोषित किया है, जबकि शिवसेना के आशीष जायसवाल को इसी जिले का संयुक्त प्रभारी मंत्री बनाया। बताया जाता है कि जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे, तत वह गढ़चिरौली का प्रभार चाहते थे, हालांकि उन्हें यह पद नहीं दिया गया था। ऐसे में इस जिले को लेकर भी महायुति में नाराजगी की बातें सामने आई हैं। इसके अलावा अन्य जिलों की नियुक्तियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *