नई दिल्ली: मशहूर पॉडकास्टर और यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके शो को ऑन-एयर करने की इजाजत देते हुए यह स्पष्ट किया कि किसी भी कंटेंट को बिना पर्याप्त आधार के सेंसर नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने रणवीर को यह भी नसीहत दी कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारित होने वाली सामग्री में जिम्मेदारी और संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
क्या है मामला?
रणवीर अल्लाहबादिया के पॉडकास्ट को लेकर कुछ विवादित टिप्पणियों पर आपत्ति जताई गई थी, जिसके चलते उनके शो पर अस्थायी रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उनके कंटेंट में कुछ संवेदनशील मुद्दों को गैर-जिम्मेदाराना तरीके से पेश किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का रुख
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक लोकतांत्रिक समाज का अहम हिस्सा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे समाज में अशांति फैलाई जाए।” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि किसी कंटेंट को लेकर आपत्ति हो, तो कानूनी प्रक्रिया के तहत समाधान निकाला जाना चाहिए, न कि उसे सीधा बैन कर देना चाहिए।
रणवीर का बयान
इस फैसले के बाद रणवीर अल्लाहबादिया ने खुशी जताई और कहा कि वे आगे भी अपने कंटेंट में संतुलन और जिम्मेदारी का ख्याल रखेंगे। उन्होंने अपने दर्शकों और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया।
क्या रहेगा आगे?
अब रणवीर का पॉडकास्ट बिना किसी रोकटोक के जारी रहेगा, लेकिन डिजिटल मीडिया पर अभिव्यक्ति की सीमा और जिम्मेदारी को लेकर यह मामला बहस का मुद्दा बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न सिर्फ डिजिटल क्रिएटर्स के लिए अहम है, बल्कि ऑनलाइन कंटेंट को लेकर कानूनी सीमाओं की भी नई व्याख्या कर सकता है।