राष्ट्रीय खेल : ‘मौली’ के रूप में शुभंकर का नया अवतार, जानें क्यों है खास

उत्तराखंड में 38 वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी तेज हो गई है। राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर प्रतीक ‘मौली’ (मोनाल पक्षी) नए अवतार में नजर आएगा। यह खिलाड़ियों के नजरिए से ज्यादा आकर्षक और प्रेरक होगा। राष्ट्रीय खेल के लोगो को भी नए सिरे से डिजाइन किया गया है। जर्सी, टार्च, एंथम सभी में उत्तराखंड की छाप नजर आएगी।

आठ वर्ष पहले मिल गई थी मेजबानी 

38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी उत्तराखंड को करीब आठ वर्ष पहले मिल गई थी। तब इसका शुंभकर प्रतीक और लोगो जारी किया गया था। इन खेलों के लिए उत्तराखंड के राज्य पक्षी मोनाल को शुभंकर प्रतीक बनाया गया था। मगर लंबे विमर्श के बाद यह महसूस किया गया कि शुभंकर प्रतीक को और आकर्षक बनाने की आवश्यकता है। ताकि शुंभकर प्रतीक खिलाड़ियोें से ज्यादा कनेक्ट कर पाए। अब इन खेलों का शुंभकर प्रतीक मौली के रूप में सामने आ रहा है।

बेहतर आयोजन के लिए प्रतिबद्ध

इसी तरह, लोगो को भी नए सिरे से डिजाइन किया गया है। मकसद ये ही है कि नई स्थितियों के अनुरूप ये ज्यादा आकर्षक नजर आएं। राष्ट्रीय खेल सचिवालय केे मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित सिन्हा के अनुसार-राष्ट्रीय खेलों की तैयारी तेजी से चल रही है। हम बेहतर आयोजन के लिए प्रतिबद्ध हैं। अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रशांत आर्य के मुताबिक-बेहतर व्यवस्था बनाने के लिए जिस तरह की भी आवश्यकता है, उसके इंतजाम किए जा रहे हैं।

मशाल में गंगा, ब्रहमकमल के दिखेंगे चिन्ह

राष्ट्रीय खेलों की मशाल में सदानीरा गंगा, राज्य पुष्प् ब्रहमकमल के चिन्ह दिखाई देंगे। इसे इसी हिसाब से डिजायन किया गया है। इसके अलावा, उत्तराखंडी लोक कला एपण के भी दर्शन प्रचार सामग्री से लेकर अन्य जगहों पर प्रभावी ढंग से होंगे।

छह टन स्क्रैप से बना टाइगर खीचेंगा ध्यान

महाराणा प्रताप स्पोट्र्स काॅलेज परिसर में राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के बीच छह टन स्क्रैप से बना टाइगर भी अपनी ओर सभी का ध्यान खीचेंगा। यह पूरी तरह से स्क्रैप से तैयार किया गया है, जिसे बनाने में करीब 20 दिन लगे हैं।

38 वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हमारे लिए सौभाग्य की बात है। उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में खेलों के इतने बडे़ आयोजन की मेजबानी के लिए हम उत्साहित है। इसके लिए हमारी पूरी तैयारी है। सभी के सहयोग से भव्य और बेहतर इंतजाम किए जाएंगे।

  • पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री

क्षेत्र और संस्कृति का प्रतीकवाद

2025 के राष्ट्रीय खेलों के लिए शुभंकर मौली के रूप में मोनाल पक्षी का चयन हिमालयी क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीकवाद में गहराई से निहित है। हिमालय के मूल निवासी पक्षी के रूप में, विशेष रूप से उत्तराखंड में, जहाँ खेल आयोजित होने हैं, मोनाल इस क्षेत्र की अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। इसके रंगीन पंख और राजसी उपस्थिति स्थानीय परंपराओं और मूल्यों के साथ प्रतिध्वनित होती है, जो इसे इस प्रतिष्ठित खेल आयोजन के दौरान प्रदर्शित करने के लिए एक उपयुक्त प्रतीक बनाती है।

 

संरक्षण जागरूकता

अपने सांस्कृतिक महत्व से परे, शुभंकर के रूप में मौली की भूमिका पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने का भी काम करती है। हिमालय में पाई जाने वाली एक स्थानिक प्रजाति के रूप में, मोनाल को आवास की कमी और विखंडन से खतरा है। खेलों के शुभंकर के रूप में इसे प्रमुखता से पेश करके, आयोजकों का उद्देश्य इसके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के महत्व को उजागर करना है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए क्षेत्र की जैव विविधता की रक्षा करने के प्रति जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिलता है।

 

स्थानीय पहचान और गौरव

मोनाल को शुभंकर के रूप में चुनने से उत्तराखंड के निवासियों में स्थानीय पहचान और गौरव बढ़ता है। मौली को क्षेत्र के प्रतीक के रूप में मान्यता देने से इसकी अनूठी प्राकृतिक विरासत और सांस्कृतिक महत्व पर गर्व की भावना पैदा होती है। स्थानीय प्रजातियों का जश्न मनाकर, खेल न केवल क्षेत्रीय गौरव को बढ़ावा देते हैं बल्कि आयोजन के लिए सामुदायिक जुड़ाव और समर्थन को भी मजबूत करते हैं, जिससे खेल, संस्कृति और पर्यावरण के बीच एक मजबूत संबंध बनता है।

 

प्रतिभागियों और दर्शकों से अपील

मौली के जीवंत रंग और आकर्षक रूप इसे एक आकर्षक शुभंकर बनाते हैं जो प्रतिभागियों और दर्शकों दोनों को समान रूप से आकर्षित करता है। इसकी विशिष्ट विशेषताएं और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ जुड़ाव खेलों के लिए एक आकर्षक और यादगार प्रतीक बनाता है। शुभंकर के रूप में मौली के माध्यम से, कार्यक्रम आयोजक एक जीवंत और उत्साही माहौल बनाने की कोशिश करते हैं, जिससे एथलीटों से लेकर प्रशंसकों तक राष्ट्रीय खेलों में शामिल सभी लोगों के बीच उत्साह और उत्साह को बढ़ावा मिलता है।

विपणन और ब्रांडिंग

मार्केटिंग के नज़रिए से, मोनाल 2025 के राष्ट्रीय खेलों के लिए एक अनूठा ब्रांडिंग अवसर प्रदान करता है। इसकी विशिष्ट दृश्य अपील को प्रचार सामग्री, व्यापारिक वस्तुओं और मीडिया अभियानों में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है ताकि आयोजन के लिए एक पहचान योग्य और सुसंगत पहचान स्थापित की जा सके। मौली न केवल हिमालयी क्षेत्र का जश्न मनाने के आयोजन की थीम को मजबूत करता है, बल्कि व्यापक दर्शकों के बीच प्रत्याशा और रुचि पैदा करने में भी मदद करता है, जिससे खेलों की दृश्यता और प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

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