लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 27% टैरिफ को लेकर सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि यह टैरिफ भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगा, खासकर ऑटोमोबाइल, फार्मा और कृषि क्षेत्रों को। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार इस गंभीर मुद्दे से कैसे निपटेगी?
राहुल गांधी ने विदेश नीति को लेकर भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अमेरिका, जो भारत का सहयोगी माना जाता है, ने अचानक इतना बड़ा शुल्क लगा दिया, और सरकार इसे रोकने में असमर्थ रही। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि वे न बाएं झुकीं, न दाएं, बल्कि भारतीय हितों के लिए हमेशा सीधी खड़ी रहीं। लेकिन भाजपा और आरएसएस का रुख अलग है—वे विदेशी ताकतों के सामने सिर झुकाते हैं।
एलएसी पर स्थिति और चीन से संबंध
राहुल गांधी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के कब्जे का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि चीन ने 4,000 वर्ग किलोमीटर भारतीय जमीन पर कब्जा कर लिया है, और सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर हमारी जमीन को वापस लेने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि भारत-चीन राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है, जबकि 2020 में गलवान में हमारे 20 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था। उन्होंने विदेश सचिव विक्रम मिस्री के चीनी राजदूत के साथ केक काटने की घटना का जिक्र करते हुए इसे ‘शहादत का अपमान’ बताया।
सरकार को घेरा, जवाब मांगते हुए उठाए गंभीर सवाल
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने चीन को पत्र लिखा है, लेकिन यह जानकारी भारत सरकार की ओर से नहीं, बल्कि खुद चीनी राजदूत के जरिए सामने आई। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर चीन को भेजे गए पत्रों में क्या लिखा था और हमारी जमीन को वापस लाने के लिए क्या रणनीति बनाई जा रही है?
उन्होंने स्पष्ट कहा कि सामान्य संबंधों के विरोध में कांग्रेस नहीं है, लेकिन उससे पहले यथास्थिति बहाल होनी चाहिए और भारत को अपनी जमीन वापस मिलनी चाहिए। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह अमेरिका के टैरिफ और चीन के कब्जे को लेकर देश को स्पष्ट जवाब दे।