देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में उस समय ठहाके गूंज उठे जब प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी प्राकृतिक खेती के बारे में बोलते-बोलते अटक गए। विपक्ष के तीखे सवालों के बीच मंत्री जी जब प्राकृतिक खेती की परिभाषा देने लगे, तो वे अपनी ही बात में उलझ गए।
“प्राकृतिक खेती… मतलब, जो एकदम प्राकृतिक होती है, बिना… मतलब, जो…,” मंत्री जी इतना ही बोल पाए कि सदन ठहाकों से गूंज उठा। उनके जवाब पर विपक्ष ने चुटकी ली और सत्तापक्ष के कई विधायक भी हंसी रोक नहीं पाए।
क्या है मामला?
विधानसभा में विपक्ष ने प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर सरकार की नीतियों और जमीनी हकीकत पर सवाल उठाए थे। जब कृषि मंत्री गणेश जोशी ने जवाब देना शुरू किया, तो वे ‘प्राकृतिक खेती’ का सही अर्थ स्पष्ट नहीं कर पाए। उनकी हिचकिचाहट को लेकर विपक्ष ने तंज कसते हुए कहा, “जब मंत्री जी को ही नहीं पता कि प्राकृतिक खेती क्या है, तो किसान कैसे समझेगा?”
सोशल मीडिया पर चर्चा
इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें लोग मंत्री जी के ज्ञान पर सवाल उठा रहे हैं। ट्विटर और फेसबुक पर कई यूजर्स ने व्यंग्यात्मक टिप्पणियां करते हुए लिखा, “मंत्री जी, पहले खुद समझिए फिर किसानों को समझाइए!”
सरकार की सफाई
इस मामले पर सफाई देते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मंत्री जी अचानक सवालों से घिर गए थे और उन्होंने बाद में सही जानकारी दी। सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
विपक्ष का हमला
विपक्षी नेताओं ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, “जब मंत्री ही तैयार नहीं हैं, तो किसान सरकार से क्या उम्मीद करे?”