इसलिए है महत्वपूर्ण
- यह परीक्षण देश की दूसरी-हमलावर क्षमता को प्रमाणित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- दरअसल, इससे भारत को सेकेंड स्ट्राइक की क्षमता मिल जाती है। इसका मतलब है कि अगर जमीन पर स्थिति ठीक नहीं है, तो समंदर से ही सबमरीन की मदद से हमला किया जा सकता है।
- बता दें कि भारत का नियम है कि वो कभी भी पहले परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर उस पर हमला होता है तो वो छोड़ेगा भी नहीं। इस मिसाइल की 4000 किलोमीटर की रेंज है जो नौसेना के लिए बहुत जरूर साबित होती है।
भारतीय नौसेना ने अगस्त में विशाखापत्तनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर में पनडुब्बी को शामिल किया था। सूत्रों ने कहा कि मिसाइल के पूर्ण-सीमा परीक्षण से पहले, DRDO ने पानी के नीचे के प्लेटफार्मों से दागी जाने वाली मिसाइल के प्रक्षेपण के व्यापक परीक्षण किए थे। भारतीय नौसेना अब मिसाइल प्रणाली के और परीक्षण करने की योजना बना रही है। नौ सेना के पास बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता वाली दो परमाणु पनडुब्बियां हैं, जिनमें INS अरिहंत और अरिघाट शामिल हैं।