आज सरकार ने हमें घसीटा, एक दिन जनता इस सरकार को घसीटेगी। अब उत्तराखंड की जनता मुख्यमंत्री के घर के बाहर बैठेगी। हमने ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया था कि सरकार ने हमें शहीद स्मारक में भूख हड़ताल नहीं करने दी। हम शांतिपूर्ण तरीके से बैठे थे। भारी पुलिस बल बुलाकर हमें घसीटकर ले जाया गया और गटर किनारे पटक दिया गया।
क्या इस राज्य में अपनी ज़मीनों, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए संघर्ष करना पाप है ? जिन्होंने जमीन और रोजगार की लूट के रास्ते खोले हैं, उन्हें एक दिन उत्तराखंड की जनता घसीटेगी।
शहीद स्मारक किसी के बाप की बपौती नहीं है। यह स्थान हमारे लिए एक ऐसा पवित्र स्थान है, जो हमें अपने पुरखों की शहादत की याद दिलाता है। राज्य निर्माण के लिए हमारे कई लोग शहीद हुए और अब राज्य की अस्मिता को बचाने के लिए भी लोग शहादत देने लिए तैयार हैं।
मूल निवास, भू-क़ानून संघर्ष समिति ने निर्णय लिया है कि अब उत्तराखंड की जनता मुख्यमंत्री के घर के बाहर बैठेगी। प्रदेशभर से हजारों की तादाद में लोगों को जुटाया जाएगा। आंदोलन अनवरत जारी रहेगा। अब हम सबके सामने “करो या मरो” की स्थिति है। अगले महीने इस कार्यक्रम की तिथि घोषित कर दी जाएगी। भविष्य में भूख हड़ताल शहीद स्मारक में ही करेंगे।
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