झारखंड: पश्चिमी सिंहभूम, झारखंड। सनातन धर्म से कभी भटके 68 आदिवासी परिवारों ने रविवार को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती जी महाराज के पावन सान्निध्य में अपने मूल धर्म में वापसी की। इस आयोजन के दौरान कुल 200 लोगों ने गंगाजल पान कर और श्री राम नाम का वाचन करते हुए सनातन धर्म में पुनः प्रवेश किया।
यह धार्मिक अनुष्ठान पश्चिमी सिंहभूम जिले के पारलीपोस गांव, गोइलकेरा प्रखंड स्थित विश्व कल्याण आश्रम में संपन्न हुआ। यह आयोजन स्वधर्मानयन अभियान के अंतर्गत 56वें निःशुल्क चिकित्सा शिविर के दौरान किया गया, जिसमें कई श्रद्धालु एवं संतों की उपस्थिति रही।
जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने इस अवसर पर कहा, कि “स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः”, अर्थात अपने धर्म में रहकर जीवन व्यतीत करना श्रेष्ठ है, जबकि परधर्म भयावह हो सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि धर्मांतरण के कुचक्र में फंसकर जो लोग सनातन धर्म से दूर हो गए थे, वे अब जागरूक होकर वापस लौट रहे हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अपने मूल धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाएं और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान दें।
बीते कुछ दिनों में पूज्य शंकराचार्य जी ने जिले के कई आदिवासी गांवों का दौरा कर धर्म संचार सभाओं को संबोधित किया। उनके विचारों से प्रभावित होकर अनेक लोग धर्मांतरण के षड्यंत्र को समझने लगे और स्वेच्छा से सनातन धर्म में लौटने के लिए प्रेरित हुए।
इस आयोजन को सफल बनाने में विश्व कल्याण आश्रम के नव नियुक्त प्रभारी ब्रह्मचारी विश्वानंद जी, आध्यात्मिक उत्थान मंडल के समर्पित सदस्यों और इंद्रजीत मालिक, शिव प्रसाद सिंहदेव, रॉबी लकड़ा सहित कई अन्य धर्मसेवकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
स्वधर्मानयन अभियान के अंतर्गत ऐसे और भी आयोजन किए जाएंगे, जिनमें आदिवासी समुदायों को जागरूक करने और उन्हें सनातन धर्म की महिमा से अवगत कराने का कार्य होगा। विश्व कल्याण आश्रम के अनुसार, यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और अधिक से अधिक लोगों तक सनातन धर्म का संदेश पहुंचाया जाएगा।