December 3, 2025

दिल्ली ब्लास्ट केस : अल फलाह यूनिवर्सिटी में ED की बड़ी कार्रवाई, चार राज्यों में 30 ठिकानों पर छापे

0
ED.jpg

नई दिल्ली : दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास 10 नवंबर को हुए विस्फोटक हमले की जांच में नया मोड़ आ गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में चार राज्यों—दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और एक अन्य राज्य—में 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है। इस कार्रवाई में यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद के महू (मध्य प्रदेश) स्थित पुराने आवास, फरीदाबाद में अल फलाह कैंपस और ओखला स्थित ट्रस्ट कार्यालय समेत कई महत्वपूर्ण जगहें शामिल हैं।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच के समन्वय में की जा रही है। एनआईए ने अब तक दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जो कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर डॉ. उमर नबी के करीबी सहयोगी बताए जा रहे हैं। डॉ. उमर, जो विस्फोट में मुख्य भूमिका निभाने वाले संदिग्धों में से एक थे, खुद एक चिकित्सक थे और अल फलाह यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे।

दिल्ली ब्लास्ट का खौफनाक मंजर

10 नवंबर को दोपहर करीब 2:30 बजे दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के नजदीक एक सफेद रंग की हुंडई i20 कार में जबरदस्त विस्फोट हुआ। इस धमाके में कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए। घटनास्थल पर मची तबाही का आलम यह था कि कार के परखचे चारों तरफ बिखर गए और आसपास के वाहनों व संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा। प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हो गया कि विस्फोट एक आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा था, जिसमें घरेलू विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया गया।

दिल्ली पुलिस और एनआईए की संयुक्त जांच में सामने आया कि इस साजिश में शामिल ज्यादातर संदिग्ध चिकित्सक पृष्ठभूमि के थे। डॉ. उमर नबी, जो विस्फोट में आत्मघाती हमलावर की भूमिका निभा रहे थे, अल फलाह यूनिवर्सिटी के फैकल्टी मेंबर थे। जांच एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी के परिसर और इससे जुड़े ट्रस्ट के माध्यम से संदिग्धों ने फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट जुटाया। हालांकि, मनी लॉन्ड्रिंग का केस मुख्य रूप से विदेशी फंडिंग और हवाला नेटवर्क से जुड़ा बताया जा रहा है।

अल फलाह यूनिवर्सिटी का इनकार, जांच तेज

अल फलाह यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, “हमारी संस्था शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित है और किसी भी आतंकी गतिविधि से इसका कोई लेना-देना नहीं है। डॉ. उमर नबी का नाम हमारे रिकॉर्ड में प्रोफेसर के रूप में दर्ज है, लेकिन उनकी गतिविधियों से यूनिवर्सिटी का कोई संबंध नहीं। हम जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करेंगे।”

ईडी की छापेमारी में अब तक दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत चल रही है, जिसमें यूनिवर्सिटी पर विदेशी चैरिटी फंड्स के गलत इस्तेमाल का आरोप है। एनआईए को शक है कि इन फंड्स का एक हिस्सा आतंकी नेटवर्क को ट्रांसफर किया गया।

जांच का दायरा बढ़ा

यह मामला अब राजनीतिक बहस का विषय बन चुका है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है, जबकि सत्ताधारी पक्ष ने इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का मुद्दा बताते हुए कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “जांच में और गिरफ्तारियां तय हैं। हम संपूर्ण नेटवर्क को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

एनआईए और ईडी की टीमें फिलहाल ठिकानों पर मौजूद हैं, और अगले 48 घंटों में और खुलासे होने की संभावना है। इस घटना ने दिल्ली सहित पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है। अधिक जानकारी के लिए जांच एजेंसियों के आधिकारिक बयानों का इंतजार है।

The post दिल्ली ब्लास्ट केस : अल फलाह यूनिवर्सिटी में ED की बड़ी कार्रवाई, चार राज्यों में 30 ठिकानों पर छापे first appeared on headlinesstory.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *