नई टिहरी : उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श के लिए प्रदेश स्तरीय “चिंतन गोष्ठी” का आयोजन किया जा रहा है। यह महत्वपूर्ण आयोजन 2 मार्च को होटल भरत मंगलम, बौराड़ी, नई टिहरी में 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा।
इस गोष्ठी का उद्देश्य उन बुनियादी समस्याओं और चुनौतियों पर मंथन करना है, जो राज्य के विकास और अस्तित्व से सीधे जुड़ी हैं, लेकिन पिछले 24 वर्षों में उपेक्षित रही हैं। इसमें बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता को एक मंच पर लाकर ठोस समाधान निकालने का प्रयास किया जाएगा।
चर्चा के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. मूल निवासः मूल निवास नीति में बदलाव और उसके सामाजिक प्रभाव।
2. भू-कानूनः जल-जंगल-जमीन के संरक्षण एवं बाहरी लोगों द्वारा खरीद पर नियंत्रण।
3. परिसीमनः विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन का पर्वतीय क्षेत्र पर प्रभाव।
4. पलायनः गाँवों से शहरों की ओर पलायन की समस्या और स्थायी आजीविका के उपाय।
5. रोजगार एवं नियुक्तियोंः सभी सरकारी विभागों में स्थायी नियुक्तियों तथा शोषणकारी आउटसोर्सिग व्यवस्था को खत्म करना।
6. जंगली जानवरों से सुरक्षाः मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने एवं जन, पशु तथा खेती की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम।
7. स्थायी राजधानी का सवालः स्थायी राजधानी पर अनसुलझा सवाल।
8. 5वीं अनुसूची एवं अनुच्छेद 371 पर चर्चाः इन प्रावधानों के राज्य पर लागू होने की संभावनाओं और इससे स्थानीय निवासियों को मिलने वाले अधिकारों पर चर्चा।
9. केदारनाथ की विभीषिका के संदर्भ में पहाड़ को आपदाओं से बचाने का सवालः प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम के उपाय, पारिस्थितिक संतुलन, और सुरक्षित पुनर्निर्माण पर चर्चा।
10. जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त कर निकायों एवं पंचायतों को अधिकार देनाः स्थानीय स्वायत्तता और विकास को बढावा देने के लिए पंचायतों और नगर निकायों को अधिक अधिकार देने की आवश्यकता।
11. टिहरी बाँध में राज्य की हिस्सेदारी: राज्य की 25% हिस्सेदारी तथा विस्थापित/प्रभावित लोगों के अधिकारों की सुरक्षा और लाभ का समान वितरण।
आयोजन का उद्देश्य
इस चिंतन गोष्ठी का उद्देश्य उत्तराखंड के इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा और ठोस समाधान प्रस्तुत करना है। इसमें प्रदेश के बुद्धिजीवियों, विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, और जनता को एक मंच पर लाकर इन समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने का प्रयास किया जाएगा।