उत्तराखंड : हर्षिल से बेरीनाग तक शराब की दुकानों का विरोध, लोगों की दो टूक…

उत्तरकाशी और बेरीनाग समेत उत्तराखंड के विभिन्न इलाकों में शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध बढ़ता जा रहा है। उत्तरकाशी जिला आबकारी विभाग द्वारा हर्षिल गांव में शराब की दुकान खोलने की योजना के विरोध में उपला टकनौर गांव के ग्रामीण डीएम कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपकर इसका कड़ा विरोध जताया। इसी तरह बेरीनाग तहसील मुख्यालय से 8 किमी दूर उडियारी बैंड कस्बे में भी शराब की दुकान खोलने के फैसले पर ग्रामीणों ने आक्रोश व्यक्त किया है।

हर्षिल में शराब की दुकान खोलने के विरोध में ग्रामीणों का प्रदर्शन

शुक्रवार को उपला टकनौर के आठ गांवों के ग्रामीण बड़ी संख्या में जिला मुख्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने जिलाधिकारी से मुलाकात कर विरोध दर्ज कराया। ग्रामीणों ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर्षिल और मुखवा का दौरा किया था और क्षेत्र में धार्मिक व आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात कही थी। लेकिन अब सरकार शराब की दुकान खोलकर माहौल खराब करने की तैयारी कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल, सत्येंद्र सेमवाल और मोहन सिंह राणा ने भी शराब दुकान खोलने का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि गंगोत्री धाम के प्रमुख पड़ाव हर्षिल में शराब की बिक्री से पर्यटकों के बीच गलत संदेश जाएगा और गांव का माहौल भी खराब होगा।

अवैध बिक्री रोकने के लिए उठाया गया कदम

आबकारी विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आगामी वित्तीय वर्ष में उत्तरकाशी जिले में दो नई शराब की दुकानों की योजना बनाई गई है। गंगोत्री धाम से 25 किमी दूर हर्षिल और मोरी के सांकरी में अंग्रेजी शराब की दुकानों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।

अधिकारियों का तर्क है कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने के लिए कानूनी रूप से नियंत्रित दुकानें जरूरी हैं। मोरी में भी सांकरी से करीब 50 किमी दूर शराब की दुकान स्थित है, जिससे पर्यटकों और स्थानीय लोगों को असुविधा होती है।

बेरीनाग में भी शराब की दुकान खोलने का विरोध तेज

बेरीनाग तहसील में उडियारी बैंड कस्बे में शराब की दुकान खोलने की खबर फैलते ही चौकोड़ी गांव की सैकड़ों महिलाओं ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने बैठक आयोजित कर सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति तय की और जमकर नारेबाजी की।

ग्राम प्रधान दीपा देवी ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, “दो साल पहले ग्रामीणों ने पानी की समस्या को लेकर धरना प्रदर्शन किया था, तब प्रशासन ने पांच दर्जन ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज कर दिया था। लेकिन आज भी गांव पानी की किल्लत से जूझ रहा है। सरकार ने पेयजल समस्या का हल तो नहीं निकाला, लेकिन शराब की दुकान खोलने का फैसला कर लिया है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”

शराब की दुकानें नहीं खुलने देंगे

स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से मांग की है कि धार्मिक, पर्यटन और ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें न खोली जाएं। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।

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