एक होगा उद्धव-राज ठाकरे परिवार, सामना में लिख दी बड़ी बात

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। खबर है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अपने पुराने मतभेद भुलाकर एक साथ आ सकते हैं। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में इसकी चर्चा की और लिखा कि दोनों को महाराष्ट्र के हित में एकजुट होना चाहिए। अगर विष से अमृत निकले, तो राज्य को इसकी जरूरत है। संपादकीय में कहा गया कि इसके लिए केवल इच्छा शक्ति चाहिए।

संपादकीय में चेतावनी दी गई कि अगर जीवन बहस और झगड़ों में बीत गया, तो महाराष्ट्र की भावी पीढ़ियां इसे माफ नहीं करेंगी। महाराष्ट्र को भाजपा की ‘उपयोग करो और फेंको’ वाली राजनीति से बचाने की जरूरत है।

भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा गया कि मोदी, शाह और फडणवीस ने सिर्फ राजनीतिक जहर फैलाया है। वे महाराष्ट्र के नहीं हैं, तो राज्य के हितों की चिंता कैसे करेंगे? उन्होंने कृष्णा-कोयना के शुद्ध प्रवाह को बचाने के बजाय, लोगों को प्रयागराज के गंदे प्रवाह में धकेला और धर्म का व्यापार किया। मराठियों को सतर्क रहकर सबक लेना होगा।

उद्धव और राज के एक होने की खबर ने कुछ लोगों को खुशी दी, तो कुछ के पेट में दर्द पैदा किया। राज ठाकरे की राजनीति अब तक अनिश्चित रही है। शिवसेना छोड़कर उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) बनाई, जिसे शुरू में समर्थन मिला, लेकिन बाद में उनकी पार्टी कमजोर पड़ गई।

भाजपा और एकनाथ शिंदे ने राज का इस्तेमाल शिवसेना पर हमला करने के लिए किया, जिससे मराठी एकता को नुकसान हुआ। राज ने पहले मोदी और शाह को महाराष्ट्र में हस्तक्षेप न करने की बात कही थी और भाजपा के हिंदुत्व को नकली बताया था। लेकिन बाद में वे खुद भाजपा के जाल में फंस गए।

हाल ही में एक साक्षात्कार में राज ने कहा कि उनके और उद्धव के बीच के झगड़े मामूली हैं। महाराष्ट्र के हित और मराठी अस्मिता के सामने ये बातें छोटी हैं। उनके लिए एक साथ आना मुश्किल नहीं, बस इच्छा की जरूरत है।

शिवसेना का जन्म मराठी हितों के लिए हुआ था और उद्धव ने इस उद्देश्य को कभी नहीं छोड़ा। फिर विवाद कहां है? संपादकीय में कहा गया कि भाजपा और शिंदे ने ही कृत्रिम विवाद खड़ा किया। अगर इन्हें दूर रखा जाए, तो कोई बाधा नहीं।

राज की इच्छा जताने के बाद उद्धव ने भी मजबूत कदम उठाया। उन्होंने कहा कि छोटे-मोटे विवादों को भुलाकर वे महाराष्ट्र के हित के लिए साथ काम करने को तैयार हैं। संपादकीय में इसे महाराष्ट्र की जनभावना का बिगुल बताया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *