‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम ही क्यों चुना गया?

22 अप्रैल की सुबह जब कश्मीर की वादियाँ खिली थीं, तब किसी ने नहीं सोचा था कि पहलगाम की बायसरन घाटी में ऐसा नरसंहार होगा जो दिल दहला देगा। आतंकियों ने धर्म पूछ-पूछकर 26 निर्दोष पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल था। खास बात ये रही कि इन दरिंदों ने सिर्फ पुरुषों को निशाना बनाया। कई महिलाएं वहीं अपने पति का शव थामे रोती रहीं। वो सिंदूर उस दिन सूख गया।

खून का हिसाब लिया

अब, 15 दिन बाद भारत ने इस खून का हिसाब लिया है। नारे नहीं, कार्रवाई से। भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoJK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों को सटीक हमलों में तबाह कर दिया। इस ऑपरेशन को उन महिलाओं को समर्पित किया गया है जिन्होंने अपने पति खोए, और जिनका सिंदूर मिटा — लेकिन भारत का जज़्बा नहीं।

कैसे हुआ हमला?

सूत्रों के अनुसार, सेना ने विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर इन आतंकी शिविरों की पहचान की थी। अत्याधुनिक तकनीक और सर्जिकल प्लानिंग के ज़रिए सेना ने इन ठिकानों पर हमला बोला, जिससे आतंकियों की कमर टूट गई है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न सिर्फ सैन्य कार्रवाई थी, बल्कि यह एक चेतावनी भी थी — भारत अब खून का जवाब खून से देगा।

भारत की ओर से सख्त कदम

  • सिंधु जल संधि की समीक्षा और संभावित निलंबन.

  • पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द.

  • राजनयिक स्तर पर कड़ा विरोध, और वैश्विक मंचों पर आतंकी हमले की कड़ी निंदा.

अब बारी वायुसेना की

आज भारतीय वायुसेना पाकिस्तान की सीमा से सटे इलाकों में युद्धाभ्यास करेगी। राफेल, मिराज-2000, तेजस और सुखोई-30 जैसे घातक विमान हिस्सा लेंगे। युद्धाभ्यास का मकसद है – ज़मीन और हवा में दुश्मन को खत्म करने की ताकत का प्रदर्शन।


AWACS (Airborne Warning and Control System) जैसी अत्याधुनिक वायुरक्षा प्रणाली भी तैनात रहेगी। भारत सरकार ने इसके लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया है, जिसके तहत 8 मई तक दोपहर 3:30 से रात 9:30 तक आम उड़ानों पर प्रतिबंध रहेगा।

पूरे देश में मॉकड्रिल की तैयारी

देश के 259 संवेदनशील ज़िलों में नागरिक सुरक्षा की मॉकड्रिल होगी, ताकि किसी भी आकस्मिक हमले या आपदा की स्थिति में तैयारियों की परख की जा सके। इस कदम से आम नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास दोनों को मज़बूती मिलेगी।


तीखा संदेश, ठोस जवाब
पाकिस्तान को ये साफ़ संकेत है कि अब ‘शांति की बात’ सिर्फ मेज़ पर नहीं होगी — वह रणभूमि पर भी होगी, और जब ज़रूरत पड़ी तो भारत पीछे नहीं हटेगा।

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