कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा: जातीय जनगणना को हमारी जीत, संसद का विशेष सत्र बुलाए सरकार

देहरादून: कांग्रेस ने देश में जातीय जनगणना कराने के फैसले को अपनी बड़ी जीत करार दिया है और इसका श्रेय केंद्र सरकार पर अपने लगातार दबाव को दिया है। उत्तराखंड कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन व प्रशासन) सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुरू से ही जातीय जनगणना का विरोध किया था। उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने अहमदाबाद में आयोजित अपने एआईसीसी राष्ट्रीय अधिवेशन में “न्याय पथ संकल्प” प्रस्ताव के तहत जातीय जनगणना के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया था।

धस्माना ने कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार से जातीय जनगणना कराने की जोरदार वकालत की थी, लेकिन सत्ताधारी भाजपा ने इस मांग को ठुकरा दिया था।

फिर भी, कांग्रेस के दबाव के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा और जातीय जनगणना का ऐलान करना पड़ा। धस्माना ने भाजपा नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सार्वजनिक रूप से जातीय जनगणना की मांग करने वालों को “लात मारने” की बात कही थी, और पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर ने संसद में राहुल गांधी का मजाक उड़ाया था।

उन्होंने आरोप लगाया कि अब जब कांग्रेस के दबाव में सरकार को यह फैसला लेना पड़ा, तो भाजपा बेशर्मी से इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। धस्माना ने कहा कि देश के वंचित, शोषित और पिछड़े वर्ग की जनता सच्चाई जानती है और भाजपा इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह नहीं कर सकती।

संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाने की मांग

धस्माना ने यह भी मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाएं ताकि भारत-पाकिस्तान संघर्ष, अमेरिका की मध्यस्थता से हुए युद्धविराम, राष्ट्रीय सुरक्षा और पहलगाम हमले के आरोपियों को सजा जैसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार को इन मुद्दों पर जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ संसद में विचार-विमर्श करना चाहिए और जनता के मन में उठ रहे सवालों का जवाब देना चाहिए।

धस्माना ने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम और कश्मीर मुद्दे को सुलझाने की बात कहने पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि भारत की नीति हमेशा से द्विपक्षीय बातचीत और आतंकवाद के खात्मे तक पाकिस्तान से कोई संवाद न करने की रही है। लेकिन अमेरिकी हस्तक्षेप और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर ड्रोन गतिविधियों व गोलीबारी के बावजूद इस युद्धविराम की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

धस्माना ने कहा कि संकट के समय पूरा विपक्ष और देश की 140 करोड़ जनता सरकार और सेना के साथ खड़ी थी, लेकिन अब जनता कुछ जवाब चाहती है, जिसके लिए संसद सबसे उपयुक्त मंच है। कांग्रेस इसीलिए विशेष सत्र बुलाने की मांग करती है।

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