जम्मू-कश्मीर :जम्मू-कश्मीर विधानसभा का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों के विधायक अपनी-अपनी सीटों से खड़े हो गए और स्पीकर से अपने प्रस्तावों पर चर्चा की मांग करने लगे। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ विधायक मुबारक गुल और भाजपा के बलवंत सिंह कोटिया समेत अन्य विधायक अपने मुद्दों पर चर्चा के लिए अड़े रहे। इस बीच, नेकां विधायकों ने सदन में वक्फ बिल पर स्थगन प्रस्ताव लाने की मांग की, जिसे लेकर सदन का माहौल और गरमा गया।
विधानसभा परिसर के बाहर मामला और बिगड़ गया, जब आम आदमी पार्टी के विधायक मेहराज मलिक और भाजपा विधायकों के बीच झड़प हो गई। मलिक का आरोप था कि भाजपा उन्हें पुलिस की मदद से विधानसभा में प्रवेश से रोक रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पीडीपी और भाजपा की मिलीभगत है और इन्हीं के गठजोड़ ने राज्य की अस्मिता और विशेष दर्जे को खत्म किया।
आप विधायक मलिक ने पीडीपी नेता वहीद परा को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जम्मू-कश्मीर के लोगों की दलाली की है।” इस बयान के बाद भाजपा विधायकों और मलिक के बीच तीखी बहस छिड़ गई, जो देखते ही देखते हाथापाई में बदल गई। मलिक को एक धक्का लगा और वे कांच की टेबल पर गिर पड़े। मामला बढ़ता देख मार्शलों को बीच में आना पड़ा और सभी विधायकों को सदन से बाहर निकाला गया।
भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि मेहराज मलिक गाली-गलौज कर रहे थे और जानबूझकर माहौल को भड़काने की कोशिश कर रहे थे। भाजपा विधायकों ने दावा किया कि मलिक की हरकतें उकसाने वाली थीं और इसी वजह से यह टकराव हुआ। यह विवाद सदन से बाहर शुरू हुआ और देखते-ही-देखते सेंट्रल हॉल तक पहुंच गया। स्पीकर को मजबूरन कार्यवाही दोपहर 1 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
विवाद यहीं नहीं थमा। नेकां विधायक नजीर अहमद गुरेजी ने स्पीकर से अपील की कि वे अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर वक्फ बिल पर चर्चा की अनुमति दें। उन्होंने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, “यह हिंदू-मुसलमान का ड्रामा बंद करें। आपने हमारी जमीन, पहचान और अधिकार छीन लिए हैं।” इस बयान पर भाजपा विधायकों का पारा चढ़ गया। उन्होंने सीधे स्पीकर के आसन के पास धरना देना शुरू कर दिया।