धरोहर संवाद-2025: उत्तराखंड की लोकसंस्कृति और पारंपरिक ज्ञान को नई पीढ़ी से जोड़ने की पहल

श्रीनगर (गढ़वाल) : उत्तराखंड की लोक संस्कृति, साहित्य और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने के उद्देश्य से धरोहर संवाद-2025 का आयोजन 22 जून से गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास परिसर में किया जा रहा है। यह दो दिवसीय आयोजन यूकास्ट देहरादून और धरोहर न्यास के संयुक्त तत्वावधान में क्रियाकलाप केंद्र में संपन्न होगा।

शोधकर्ताओं की सामूहिक पहल

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए वरिष्ठ रंगकर्मी एवं गढ़वाल विवि के लोक कला एवं निष्पादन केंद्र के पूर्व निदेशक प्रो. डीआर पुरोहित ने कहा कि “धरोहर संवाद” राज्य के समर्पित साहित्यकारों, लोकविदों, संस्कृति कर्मियों और शोधकर्ताओं की सामूहिक पहल है। इसका मूल उद्देश्य युवा पीढ़ी को उत्तराखंड की परंपरागत पूजा-पद्धति, लोककला, मूर्तिशिल्प, वाद्य परंपरा (जैसे ढोल-दमाऊं), पारंपरिक कृषि ज्ञान और महिलाओं की भूमिका से परिचित कराना है।

दो दिन, दो धरोहर रंग

पहले दिन के उद्घाटन सत्र में संस्कृति, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक मूल्यों पर आधारित विचार गोष्ठी का आयोजन होगा। दूसरे दिन लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ-साथ लोक साहित्य, श्रव्य-वीडियो और शोध दस्तावेजों का लोकार्पण किया जाएगा।

लोकधुन और चेतना की झंकार

धरोहर न्यास के प्रदेश अध्यक्ष विजय भट्ट ने बताया कि दूसरे दिन बागेश्वर के प्रसिद्ध ढोल वादक मोहनदास और श्रीनगर के लोककर्मी डॉ. सोहनलाल अपनी प्रस्तुतियां देंगे। कार्यक्रम में पर्यावरण और नारी चेतना पर आधारित परिचर्चा भी आकर्षण का केंद्र होगी।

नीति निर्माण की ओर कदम

धरोहर संवाद के समापन पर एक घोषणा-पत्र जारी किया जाएगा, जिसमें राज्य की सांस्कृतिक नीति के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण सुझाव शामिल होंगे। आयोजन समिति का स्पष्ट उद्देश्य है कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को न केवल अगली पीढ़ियों तक पहुँचाना, बल्कि उसका दस्तावेजीकरण कर उसे अकादमिक और सामाजिक विमर्श में शामिल करना।

यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है

इस अवसर पर धरोहर न्यास के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. प्रमोद उनियाल, प्रदेश मंत्री संजय मठवाल, कमल किशोर डिमरी, प्रो. एससी सती, प्रो. गुड्डी बिष्ट, डॉ. सूरज पंवार, डॉ.. सुधीर जोशी सहित अनेक लोकसंस्कृति से जुड़े विशिष्टजन मौजूद रहेंगे। धरोहर संवाद 2025 केवल एक कार्यक्रम नहीं, यह एक सांस्कृतिक आंदोलन है, जो हमारे अतीत की जड़ों को थामे, भविष्य की ओर बढ़ने का रास्ता दिखा रहा है।

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