श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के शांत और खूबसूरत पहलगाम की वादियां आज गोलियों की गूंज से थर्रा उठीं। आतंकवाद के नए चेहरे ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने एक बार फिर अपनी हैवानियत दिखाई है। सोमवार शाम करीब 7:45 बजे, पहलगाम में पर्यटकों से भरी एक बस पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें अब तक 27 पर्यटकों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हैं।
हमले की ज़िम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ी आतंकी शाखा टीआरएफ ने ली है। यह संगठन पिछले कुछ समय से घाटी में सिलसिलेवार हमलों के लिए बदनाम हो चुका है, और अब उसने टूरिज़्म को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
हमले के कुछ ही घंटों के भीतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद अमित शाह रात में ही श्रीनगर पहुंच गए। गृह मंत्री ने कहा, “इस जघन्य हमले में शामिल एक भी आतंकी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा।”
श्रीनगर पहुंचते ही अमित शाह ने एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई है, जिसमें आईबी, रॉ, एनआईए और जम्मू-कश्मीर पुलिस के आला अधिकारी शामिल हैं। बैठक में हमले के पीछे की साजिश, खुफिया तंत्र की कमजोरी, और सुरक्षा चूक की जांच की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, टीआरएफ के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन की योजना बन चुकी है।
घायलों को तुरंत श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल और सेना के 92 बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। स्थानीय प्रशासन ने ब्लड डोनेशन कैंप शुरू कर दिए हैं और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात बना दिए गए हैं।
पहलगाम जैसी हाई-सेक्योरिटी टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर आतंकी इतने बड़े हमले को अंजाम कैसे दे गए? क्या सुरक्षा एजेंसियों को कोई इनपुट नहीं मिला? या फिर इनपुट मिला और नजरअंदाज कर दिया गया।
हमले के बाद पूरे देश में गुस्से की लहर है। सोशल मीडिया पर लोग सरकार से सख्त जवाब की मांग कर रहे हैं। यह हमला न सिर्फ कश्मीर की शांति पर हमला है, बल्कि भारत की अंतरात्मा पर भी चोट है।