ब्लैक मंडे! टैरिफ वॉर के डर से ग्लोबल मार्केट में हाहाकार, भारतीय शेयर बाजार क्रैश

मुंबई: एशियाई बाजारों और वॉल स्ट्रीट में भारी बिकवाली के चलते वैश्विक संकेतों का प्रभाव घरेलू शेयर बाजारों पर भी साफ़ देखने को मिला। सप्ताह की शुरुआत घरेलू बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स के रेड जोन में भारी गिरावट के साथ हुई। बीएसई सेंसेक्स 3,360 अंकों की गिरावट के साथ 72,004.23 पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 5 फीसदी की बड़ी गिरावट के साथ 21,758.40 पर ओपन हुआ।

वैश्विक स्तर पर भी बाजार में उथल-पुथल रही। टोक्यो का निक्केई 225 सूचकांक लगभग 8 फीसदी, ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 6 फीसदी से ज्यादा और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 4.4 फीसदी गिर गया। शुक्रवार को नैस्डैक 962.82 अंक यानी 5.82 फीसदी गिरकर 15,587.79 पर बंद हुआ, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि टेक-हैवी इंडेक्स अपने 16 दिसंबर के रिकॉर्ड उच्च स्तर 20,173.89 से मंदी के दौर में प्रवेश कर चुका है।

इस भारी गिरावट के पीछे प्रमुख कारण निवेशकों का सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख करना है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ और संभावित वैश्विक व्यापार युद्ध के कारण उत्पन्न भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता से प्रेरित है।

शुक्रवार को कारोबारी सप्ताह का अंत भी भारी गिरावट के साथ हुआ। बीएसई सेंसेक्स 930 अंकों की गिरावट के साथ 75,364.69 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 1.49 फीसदी गिरकर 22,904.45 पर क्लोज हुआ।

कारोबार के दौरान निफ्टी पर बजाज फाइनेंस, टाटा कंज्यूमर, एचडीएफसी बैंक, नेस्ले और अपोलो हॉस्पिटल्स टॉप गेनर्स रहे, वहीं हिंडाल्को, ओएनजीसी, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और सिप्ला जैसे शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई।

सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में 3 से 4 फीसदी तक की गिरावट आई। व्यापक बिकवाली के चलते मेटल, फार्मा और आईटी सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 9.47 लाख करोड़ रुपये घटकर 403.86 लाख करोड़ रुपये रह गया।

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