महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा बनाने पर मचा बवाल, इन्होंने लगाया आरोप, SSC बोर्ड को खत्म करने की साजिश

पुणे: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) की सांसद सुप्रिया सुले ने शनिवार को महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले की कड़ी आलोचना की, जिसमें स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य किया गया है। उन्होंने इसे जल्दबाजी में लिया गया निर्णय बताया और दावा किया कि यह “एसएससी बोर्ड को खत्म करने की एक साजिश” हो सकती है। सुले ने कहा, “मराठी महाराष्ट्र की आत्मा है और यह हमेशा नंबर वन रहेगी। शिक्षा के क्षेत्र में और भी कई अहम काम किए जाने बाकी हैं। ऐसे में यह फैसला मराठी भाषा की प्राथमिकता को कमजोर करने वाला है।”

NEP के तहत लागू हुआ फैसला

यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत लिया गया है। महाराष्ट्र के स्कूल शिक्षा विभाग ने 16 अप्रैल को यह फैसला किया, जिसके तहत राज्य बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों में पहली कक्षा से ही मराठी और अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी को भी अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाएगा।

maharashtra hindi copmlsary

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के निदेशक राहुल अशोक रेखावर ने बताया, “यह कदम छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इससे उन्हें शैक्षिक रूप से लाभ होगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदी को अनिवार्य करना किसी राजनीतिक या सामुदायिक एजेंडे का हिस्सा नहीं है, बल्कि केवल शिक्षा सुधार का हिस्सा है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस विषय पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। मुंबई मेट्रो लाइन 7A के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने कहा, “नई शिक्षा नीति के तहत हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि मराठी भाषा हर छात्र को आनी चाहिए, लेकिन साथ ही देश की भाषा हिंदी का ज्ञान भी ज़रूरी है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *