नैनीताल : ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में अनुसूचित जाति के कोटे से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी शंभू पासवान की जातिगत स्थिति पर सवाल उठते हुए अब यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने इस संबंध में सुनवाई करते हुए ज़िला मजिस्ट्रेट, देहरादून को जांच कर चार हफ्तों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राहुल कंसल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा। उनका आरोप है कि शंभू पासवान ने चुनाव के दौरान स्वयं को अनुसूचित जाति (SC) के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि अन्य सरकारी लेन-देन और दस्तावेज़ों में उन्होंने खुद को सामान्य वर्ग (General Category) का बताया है। यह स्थिति गंभीर अनियमितता और आरक्षण के दुरुपयोग की ओर इशारा करती है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से महेंद्र सिंह बिष्ट, ब्रिफ होल्डर के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा पहले ही ज़िलाधिकारी को इस बाबत आवेदन दिया गया है, जिस पर अब तक निर्णय नहीं लिया गया है। राज्य की ओर से यह आश्वासन दिया गया कि सभी पक्षों को सुनकर चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले लिया जाएगा।
न्यायमूर्ति रविंद्र मैथाणी ने राज्य की इस बात को रिकॉर्ड में लेते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया और निर्देश दिया कि ज़िला मजिस्ट्रेट सभी पक्षों को सुनकर तय समयसीमा में उचित कार्रवाई करें।
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